कोरोनावायरस से जुड़े 10 फेक दावों का सच / न जियो फ्री रिचार्ज दे रहा, न रूस ने शहर में 500 शेर छोड़े; देश में इमरजेंसी का मैसेज भी झूठा

कोरोनावायरस से जुड़े कई फेक दावे सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं दैनिक भास्कर लगातार इस तरह के झूठे दावों का पर्दाफाश कर रहा है

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दुनियाभर में कोरोनावायरस के अब तक 4 लाख 23 हजार से ज्यादा मामले आ चुके हैं। 18 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। देश में 21 दिन का लॉकडाउन कर दिया गया है। लोग इसके चलते दहशत में भी हैं। दरअसल सोशल मीडिया पर कोरोनवायरस से जुड़ी तमाम फेक खबरें वायरल की जा रही हैं, जिनसे लोग घबरा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी खबरों से अलर्ट रहने की अपील की है। हम यहां 10 ऐसी वायरल खबरों के बारे में बता रहे हैं, जो फेक हैं।

#पहला दावा

क्या वायरल : एक तस्वीर वायरल हो रही है। जिसमें कई लाशें नजर आ रही हैं। दावा है कि, यह इटली की तस्वीर है, जहां कोरोनावायरस ने कई लोगों की जान ले ली।
क्या सच : वायरल तस्वीर 2011 में रिलीज हुई मूवी कंटेजियन के एक सीन की है। इसका इटली से कोई संबंध नहीं है।

कोरोनावायरस के कहर के चलते दुनियाभर के शहर लॉकडॉउन हैं। इटली में अब भी स्थितियां सबसे ज्यादा खराब बनी हुई हैं। यहां 63 हजार से ज्यादा पॉजिटिव केस आ चुके हैं और 6 हजार मौतें हो चुकी हैं। इसी बीच सोशल मीडिया में एक फोटो वायरल हुई है। इसमें कई लाशें पड़ी नजर आ रही हैं। दावा है कि, यह इटली है, जहां कई लाशों को एकसाथ दफनाने के लिए लाया गया है। हमारी पड़ताल में वायरल दावा झूठा निकला।

क्या वायरल

  • एक यूजर ने इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा कि, ‘ये इटली है जहां अंतिम संस्कार के लिए आपके साथ न कोई रिश्तेदार और न ही पड़ोसी आएंगे। क्योंकि ये एक वायरल महामारी है। घर से बाहर निकलने से पहले एक बार ये तस्वीर जरूर देख लें। अपना फर्ज निभाएं’।
  • खबर लिखे जाने तक इस वायरल मैसेज को 48 हजार से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका था।

क्या है सच्चाई

  • पड़ताल में पता चला कि वायरल तस्वीर इटली की नहीं है, बल्कि 2011 में रिलीज हुई मूवी कंटेजियन का एक सीन की है। गूगल पर रिवर्स इमेज सर्चिंग में हमें इससे जुड़े कई आर्टिकल्स और ब्लॉग मिले।
  • हमने मूवी का ट्रेलर भी देखा। वीडियो में 2 मिनट 20 सेकंड पर यही इमेज नजर आती है, जिसे इटली का बताकर वायरल किया जा रहा है।

निष्कर्ष : पड़ताल से स्पष्ट होता है कि मूवी सीन को इटली का बताकर वायरल किया जा रहा है।

#दूसरा दावा
क्या वायरल : 
दावा किया गया कि जियो इन कठिन परिस्थितियों में सभी इंडियन यूजर्स को 498 रुपए का फ्री रिचार्ज दे रही है।
क्या सच : जियो प्रवक्ता ने बताया कि, वायरल दावा झूठा है। कंपनी कोई फ्री रिचार्ज नहीं दे रही है।

सोशल मीडिया में जियो के नाम से एक फिर फर्जी मैसेज वायरल हो रहा है। इसमें लिखा है कि, ‘जियो इस कठिन परिस्थिति में दे रहा है सभी इंडियन यूजर्स को 498 रुपए का फ्री रिचार्ज, तो अभी नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके अपना फ्री रिचार्ज प्राप्त करें’। हमारी पड़ताल में वायरल दावा झूठा निकला।

क्या वायरल

हमें एक यूजर ने वायरल दावा ईमेल पर पुष्टि के लिए भेजा।
  • इस वायरल मैसेज के साथ एक लिंक https://jiofreerecharge.online भी शेयर की गई है।
  • इसमें लिखा है कि, यह ऑफर केवल 31 मार्च तक ही सीमित है।

क्या है सच्चाई

  • वायरल मैसेज के साथ में जो लिंक दी गई है, वो ओपन ही नहीं हो रही।
  • इसके बाद हमने जियो की आधिकारिक वेबसाइट पर पड़ताल की तो पता चला कि कंपनी ऐसा कोई ऑफर नहीं दे रही।
  • जियो प्रवक्ता ने बताया कि, कंपनी के नाम से अक्सर ऐसे फर्जी मैसेज वायरल होते हैं। इन पर यकीन न करें। कंपनी जो भी घोषणाएं करती है वो अपनी आधिकारिक वेबसाइट www.jio.com पर ही करती है।

निष्कर्ष : जियो कोई फ्री रिचार्ज नहीं दे रहा। वायरल दावा झूठा है।

#तीसरा दावा
क्या वायरल : 
एक तस्वीर वायरल हो रही है। इसमें कई लोग जमीन पर पड़े नजर आ रहे हैं। दावा है कि, यह इटली की तस्वीर है, जहां कोरोनवायरस के चलते इन लोगों की जान गई।
क्या सच : वायरल तस्वीर 2014 में फ्रेंकफर्ट में प्रदर्शित हुए एक आर्ट प्रोजेक्ट की है, जिसमें लोगों को इस तरह दिखाया गया था।

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है। जिसमें जमीन पर सैकड़ों लोग पड़े दिख रहे हैं। दावा है कि, यह इटली की फोटो है, जहां कोरोनावायरस के चलते इन लोगों का ऐसा हाल हुआ। हमारी पड़ताल में वायरल दावा झूठा निकला। कुछ समय पहले इसी फोटो को चीन के नाम से भी वायरल किया जा चुका है।

क्या वायरल

  • फोटो को शेयर करते हुए यूजर्स लिख रहे हैं कि, ‘दोस्तों इटली का ये हाल है। भाईयों अपनी सावधानी रखो। इन्हें कोई उठाने वाला भी नहीं मिल रहा है’।
  • इस स्टोरी को पहले चीन के नाम से भी वायरल किया जा चुका है। तब इसे चीन की सैटेलाइट फोटो बताया गया था।

क्या है सच्चाई

  • यह फोटो 2014 की है। फ्रेंकफर्ट के हिरासत केंद्र में रहे नाजी के काट्जबैक पीड़ितों को याद करते हुए यह आर्ट प्रोजेक्ट किया गया था।
  • गूगल रिवर्स इमेज सर्चिंग में हमें यह तस्वीर मिल गई, जिसे 24 मार्च 2014 को रॉयटर्स ने प्रकाशित किया था।
  • इस फोटो में दिए कैप्शन में लिखा था कि, 24 मार्च 2014 को फ्रेंकफर्ट में नाजी हिरासत केंद्र के 528 पीड़ितों की याद में एक आर्ट प्रोजेक्ट में हिस्सा लेते
  • हुए लोग जमीन पर लेट गए। 24 मार्च 1945 को बुचेनवाल्ड और डचाऊ के हिरासत केंद्रों में काटजबेक हिरासत केंद्र के कैदियों को मौत के घाट उतारने के लिए मजबूर किया गया था। करीब 528 पीड़ितों को फ्रेंकफर्ट के केंद्रीय कब्रिस्तान में दफनाया गया है।

निष्कर्ष : पड़ताल से स्पष्ट होता है कि 2014 की फोटो को कोरोनावायरस का बताकर वायरल किया गया है।

#चौथा दावा

क्या वायरल : डॉक्टर रमेश गुप्ता की किताब ‘आधुनिक जन्तु विज्ञान’ का एक पेज वायरल किया गया है। दावा है कि, कोरोनावायरस और इसकी दवा के बारे में इस किताब में पहले से ही जानकारी दी गई है।
क्या सच : कोरोनावायरस कोई एक वायरस नहीं है, बल्कि यह वायरस की एक फैमिली का नाम है। इस फैमिली में सैकड़ों वायरस आते हैं। अभी हम SARS-Cov-2 से जूझ रहे हैं, जिसकी कोई दवा नहीं बनी। किताब में भी इसके बारे में कुछ नहीं लिखा गया।

कोरोनावायरस को लेकर कई झूठे मैसेज वायरल किए जा रहे हैं। अब डॉक्टर रमेश गुप्ता द्वारा लिखित जन्तु विज्ञान की किताब का स्क्रीनशॉट वायरल किया जा रहा है। दावा है कि, इसमें कोरोनावायरस की दवा के बारे में बताया गया है। साथ ही यह भी लिखा गया है कि, यह कोई नई बीमारी नहीं है बल्कि इसके बारे में तो पहले से ही इंटरमीडिएट की किताब में बताया गया है साथ ही इसका इलाज भी बताया है।

क्या वायरल

  • जन्तु विज्ञान की किताब का एक पेज वायरल किया जा रहा है।
  • इसमें लिखा है कि, ‘साधारण जुकाम अनेक प्रकार के विषाणुओं द्वारा होता है। इसमें 75 % रहीनोवाइरस तथा शेष में कोरोना वायरस होता है ‘।
  • यूजर्स इस किताब के पेज का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिख रहे हैं कि, ‘भाइयों काफी किताबों में ढूंढने के बाद बड़ी मुश्किल से कोरोना वायरस की दवा मिली है, हम लोग कोरोना वायरस की दवा ना जाने कहां-कहां ढूंढते रहे लेकिन कोरोना वायरस की दवा इंटरमीडिएट की जन्तु विज्ञान की किताब में दी गई है जिस वैज्ञानिक ने इस बीमारी के बारे में लिखा है उसने ही इसके इलाज के बारे में भी लिखा है और यह कोई नई बीमारी नहीं है इसके बारे में तो पहले से ही इंटरमीडिएट की किताब में बताया गया है साथ में इलाज भी. कभी-कभी ऐसा होता है कि डॉक्टर और वैज्ञानिक बड़ी-बड़ी किताबों के चक्कर में छोटे लेवल की किताबों पर ध्यान नहीं देते और यहां ऐसा ही हुआ है. (किताब- जन्तु विज्ञान, लेखक- डॉ रमेश गुप्ता, पेज नं-1072) इससे मिलती जुलती कोई दवा ईजाद की जा सकती जो शायद कारगर साबित हो सके’

क्या है सच्चाई

  • खबर की पड़ताल में हमें भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) द्वारा किया गया एक ट्वीट मिला, जिसमें इस वायरल दावे को फर्जी बताया गया है।

  • विशेषज्ञों के मुताबिक, कोरोना वायरस कोई एक वायरस नहीं है, बल्कि यह वायरस की एक फैमिली का नाम है। इस फैमिली में सैकड़ों वायरस आते हैं। हर एक वायरस का खतरे का स्तर अलग-अलग होता है।
  • बहुत से कोरोनवायरस सिर्फ सर्दी-जुकाम वाले होते हैं। डॉ गुप्ता की किताब में जो दवाईयां लिखी हैं वो सर्दी-जुकाम के लक्षणों को ठीक करने के लिए हैं।
  • अभी हम जिस वायरस का सामना कर रहे हैं वो रेस्पिरेटरी डिसीज कॉजिंग कोरोना वायरस है। इससे सांस की तकलीफ होती है। इसका नाम SARS- Cov-2 रखा गया है और इससे होने वाली बीमारी को Covid-19 कहा जाता है।
  • इस बीमारी की अभी तक कोई दवा ईजाद नहीं हो सकती है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इसकी पड़ताल में लगे हैं।

निष्कर्ष : वायरल दावा झूठा है। इस तरह के भ्रामक दावों पर यकीन न करें।

#पांचवा दावा

क्या वायरल : मेदांता के एमडी डॉक्टर नरेश त्रेहान के नाम से वायरल मैसेज में दावा किया गया है कि, देश में अगले एक-दो दिन में नेशनल इमरजेंसी लगने वाली है। इसलिए राशन, दवाई जैसी जरूरी चीजें पर्याप्त मात्रा में खरीद लें।
क्या सच : मेदांता हॉस्पिटल ने इस दावे को झूठा बताया है। देश में नेशनल इमरजेंसी नहीं लग रही। किसी को घबराने की जरूरत नहीं है।

कोरोनावायरस से जुड़ी फेक स्टोरीज लगातार सोशल मीडिया पर वायरल की जा रही हैं। अब दावा किया गया है कि एक, दो दिन में देश में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया जाने वाला है। इस मैसेज को मेदांता हॉस्पिटल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. नरेश त्रेहान के नाम से वायरल किया गया है। हमारी पड़ताल में वायरल दावा झूठा निकला।

क्या वायरल

  • फेसबुक पर एक यूजर ने लिखा कि, अभी-अभी पीएमओ के जरिए डॉ. त्रेहान के ऑफिस से खबर मिली है कि, भारत एक या दो दिन में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने जा रहा है। पर्याप्त राशन, दवाईयां और नकद रखें।  दिल्ली में सदर बाजार, पुरानी दिल्ली, गांधी नगर, करोल बाग, कमला नगर में सभी दुकानें 15 अप्रैल तक के लिए बंद हो जाएंगी। रिलायंस मार्ट्स, बिग बाजार आदि महीनेभर के लिए बंद हो सकते हैं। ऐसा ही महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में भी हो सकता है। सभी दुकानों के लिए आज नोटिस जारी किया गया है। 

क्या है सच्चाई

  • पड़ताल में पता चला कि वायरल दावा झूठा है। डॉ. त्रेहान के ऑफिस से इस तरह का कोई मैसेज वायरल नहीं किया गया है।
  • पड़ताल में हमें मेदांता हॉस्पिटल के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से किया गया ट्वीट मिला।
  • इसमें स्पष्ट लिखा है कि, वायरल मैसेज फेक है और डॉ. त्रेहान ने ऐसा कोई स्टेटमेंट नहीं दिया।

निष्कर्ष : पड़ताल से स्पष्ट होता है कि देश में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित नहीं होने जा रहा। इसलिए घबराएं नहीं। एकसाथ बहुत सारा राशन खरीदने से भी बचें क्योंकि आपके ऐसा करने से कई लोगों को बिना राशन के रहना पड़ सकता है।

#छठवां दावा
क्या वायरल :
 एक कपल की तस्वीर वायरल हो रही है। दावा है कि, इन्होंने 134 कोरोनावायरस पीड़ितों का इलाज किया लेकिन अब खुद ही इसके संक्रमण का शिकार हो गए।
क्या सच : वायरल तस्वीर बार्सिलोना एयरपोर्ट की है, दंपत्ति के डॉक्टर होने का दावा भी झूठा है।

सोशल मीडिया में एक कपल की तस्वीर वायरल हो रही है। दोनों ने एक-दूसरे को पकड़ा हुआ है और चेहरे से मास्क हटा हुआ है। दावा है कि, यह दोनों पति-पत्नी हैं, जो इटली के हैं और पेशे से दोनों डॉक्टर हैं। दावा है कि, इन्होंने दिनरात काम करके 134 कोरोनावायरस पीड़ितों को बचाया लेकिन अब खुद ही इस वायरस की चपेट में आ गए हैं और दोनों को अलग-अलग कमरे में शिफ्ट कर दिया गया है। जानिए इस वायरल दावे का सच।

क्या वायरल

  • कई यूजर्स इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं।

क्या है सच्चाई

  • रिवर्स सर्चिंग में हमें यह फोटो एसोसिएटेड प्रेस पर मिल गया।
  • इसमें दिए गए कैप्शन के मुताबिक, ’12 मार्च 2020 को एक पुरुष और महिला स्पेन के बार्सिलोना एयरपोर्ट पर किस करते हुए। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हफ्तों के लिए कोरोनावायरस को कम बताया था लेकिन बाद में सख्त नियम लागू करते हुए यूरोप से ट्रैवल पर पाबंदियां लगाईं’।
  • इस फोटो को शिकागो ट्रिब्यूनबोस्टन ग्लोब और फॉक्स ट्रिब्यून ने भी प्रकाशित किया था।

निष्कर्ष : पड़ताल से स्पष्ट होता है कि, वायरल दावा झूठा है। वायरल तस्वीर में दिख रहे कपल इटली के डॉक्टर हैं।

#सातवां दावा

क्या वायरल : कोविड-19 लिखी किट की तस्वीर वायरल हो रही है। दावा है कि, यह कोरोनावायरस को खत्म करने वाली दवा है, जिसे अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बनाया है।
क्या सच : कोरोनावायरस को खत्म करने वाली दवा अभी तक ईजाद नहीं हो पाई है। वायरल तस्वीर कोरोनावायरस की जांच करने वाली किट की है।

दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोनावायरस कोविड-19 की वैक्सीन खोजने में जुटे हैं। अभी तक इसकी कोई वैक्सीन नहीं बन सकी है लेकिन सोशल मीडिया पर यूजर्स दावा कर रहे हैं कि इसकी वैक्सीन बन चुकी है। कोविड-19 लिखी हुई किसी वैक्सीन की फोटो भी शेयर की जा रही है। हमारी पड़ताल में वायरल दावा झूठा निकला।

क्या वायरल

  • हमें एक यूजर ने ईमेल के जरिए इस फोटो का चित्र भेजते हुए लिखा कि, ‘बढ़िया खबर! कारोना वायरस वैक्सीन तैयार। इंजेक्शन के बाद 3 घंटे के भीतर रोगी को ठीक करने में सक्षम। अमेरिकी वैज्ञानिकों को सलाम।
  • अभी ट्रम्प ने घोषणा की कि रोशे मेडिकल कंपनी अगले रविवार को वैक्सीन लॉन्च करेगी, और लाखों खुराक इससे तैयार हैं !!!’।
  • इस पोस्ट को इंस्टाग्राम, ट्विटर पर भी शेयर किया जा रहा है।

क्या है सच्चाई

  • पड़ताल में पता चला कि कोविड-19 लिखी जिस मेडिसिन की तस्वीर वायरल की जा रही है, वो वैक्सीन नहीं है बल्कि टेस्टिंग किट है, जिसे साउथ कोरिया द्वारा विकसित किया गया है।
  • रिवर्स इमेज सर्चिंग में हमें कुछ न्यूज रिपोर्ट्स मिलीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, साउथ कोरिया की फार्मा कंपनी सुगेंटेक ने पोर्टेबल डायग्नोस्टिक किट विकसित की है। इससे सिर्फ 10 मिनट में यह पता चल जाता है कि कोरोनावायरस है या नहीं। वायरल तस्वीर में कंपनी का नाम भी लिखा हुआ देखा जा सकता है।

निष्कर्ष : वायरल दावा झूठा है। कोरोनावायरस को खत्म करने वाली कोई भी वैक्सीन अभी तक तैयार नहीं हुई है।

 

#आठवां दावा

क्या वायरल : एक मैसेज वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया गया है कि, कोरोनावायरस 12 घंटे तक ही जिंदा रह सकता है। इसलिए 14 घंटे का जनता कर्फ्यू किया गया। ताकि इसकी चेन तोड़ी जा सके।
क्या सच : 3 घंटे से लेकर 9 दिनों तक इसके जिंदा रहने का अध्ययन सामने आया है, हालांकि अभी तक कोई भी स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आ सकी है।

प्रधानमंत्री मोदी की अपील के बाद 22 मार्च को देश में 14 घंटे का जनता कर्फ्यू हुआ। इसका मकसद कोरोनावायरस को रोकना था। पीएम की अपील पर लोगों ने शाम 5 बजे शंख, घंटी, थाली भी बजाई ताकि कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे लोगों को प्रोत्साहन मिले। इसी बीच सोशल मीडिया में दावा किया गया कि, 14 घंटे का जनता कर्फ्यू इसलिए किया गया क्योंकि कोरोनावायरस का जीवनकाल 12 घंटे का ही होता है। जानिए इस वायरल दावे का सच।

क्या वायरल

  • वॉट्सऐप पर वायरल हो रहे इस मैसेज में लिखा है कि ‘एक स्थान पर कोरोनवायरस का जीवनकाल 12 घंटे का है और जनता कर्फ्यू 14 घंटे के लिए होगा, इसलिए सार्वजनिक क्षेत्रों के स्थान जहां कोरोना फैल सकता था, उन स्थानों पर कोई नहीं होगा, जिससे श्रृंखला टूट जाएगी’। 14 घंटे के बाद हमें जो मिलेगा, वह एक सुरक्षित देश होगा।
  • ट्विटर पर भी कई यूजर्स ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, भारत जैसे बड़े देश के लिए 14 से 24 घंटे की सोशल डिस्टेंशिंग करना सबसे सही उपाय है। कोरोनावायरस जमीन पर सिर्फ 12 घंटे जिंदा रह सकता है। जनता कर्फ्यू सही समय पर उठाया गया कदम है।

क्या है सच्चाई

  • हमारी पड़ताल में पता चला कि, कोरोनावायरस के महज 12 घंटे जिंदा रहने का दावा झूठा है।
  • वर्ल्ड हेल्थ ओर्गनाइजेशन के मुताबिक, अध्ययन यह बताते हैं कि कोरोनावायरस सरफेस पर कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक रह सकता है। कितने दिनों तक जिंदा रहेगा, यह अलग-अलग परिस्थितियों पर निर्भर करता है, जैसे सरफेस कैसी है, टेम्प्रेचर कितना है, एन्वायरमेंट कैसा है आदि।
  • 17 मार्च को प्रकाशित न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के अध्ययन के मुताबिक, वायरस हवा में हवा में तीन घंटे तक रह सकता है और दूसरे सरफेस पर 24 घंटे तक रह सकता है। प्लास्टिक और मेटल सरफेस पर दो से तीन दिन तक रह सकता है।
  • दि जर्नल ऑफ हॉस्पिटल इंफेक्शन के अध्ययन के मुताबिक भी मेटल, ग्लास और प्लास्टिक पर कोरोनावायरस 9 दिनों तक रह सकता है।
  • कोरोनावायरस के जीवनकाल को लेकर अभी तक कोई भी स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है। पड़ताल से स्पष्ट होता है कि सरफेस पर कोरोनावायरस का 12 घंटे तक जिंदा रहने का दावा झूठा है।

#नौवा दावा
क्या वायरल : 
दावा किया जा रहा है कि रूस में 500 शेर सड़कों पर छोड़ दिए गए हैं, ताकि लोग घरों में रहें।
क्या सच : वायरल दावा झूठा निकला। एक फिल्म के लिए शूट किए गए सीन की फोटो वायरल की जा रही है।

कोरोनावायरस महामारी दुनियाभर में फैल चुकी है। इसके अब तक 3 लाख 39 हजार 39 मामले सामने आ चुके हैं। 14 हजार 698 लोग इससे जान गवां चुके हैं। वहीं 99 हजार 14 लोग इस बीमारी से संक्रमित होने के बाद ठीक भी हुए हैं। इन सबके बीच कोरोनवायरस को लेकर कई भ्रांतियां भी सोशल मीडिया में फैलाई जा रही हैं। सोशल मीडिया में ऐसा ही एक दावा किया गया है कि रूस ने 500 शेर सड़क पर खुले छोड़ दिए हैं, ताकि लोग घरों में अंदर रहें। हमारी पड़ताल में वायरल दावे की हकीकत सामने आई।

क्या वायरल

  • दिग्गज उद्योगपति एलन शुगर ने किसी न्यूज बुलेटिन की इमेज शेयर की है।
  • इसमें दावा किया गया है कि, लोग घरों में रहें, इसलिए रूस में 500 शेर सड़कों पर छोड़ दिए गए हैं। ऐसा कोरोनावायरस को रोकने के लिए किया जा रहा है।
  • कई यूजर्स सोशल मीडिया पर इस पोस्ट को शेयर कर रहे हैं।

क्या है सच्चाई

  • हमारी पड़ताल में सोशल मीडिया का दावा झूठा निकला।
  • जिस शेर की फोटो वायरल की गई है, वो 2016 में साऊथ अफ्रीका के जोहानसबर्ग में क्लिक की गई थी। मेट्रो में पब्लिश आर्टिकल से इसकी पुष्टि होती है।
  • गूगल पर इमेज रिवर्स सर्चिंग में हमें 2016 में प्रकाशित यह आर्टिकल मिला। इसमें दी गई जानकारी के मुताबिक, फोटो साउथ अफ्रीका के जोहानसर्ग की है और जो शेर नजर आ रहा है, उसका नाम कोलबंस है जो एक स्थानीय फिल्म प्रोडक्शन का हिस्सा था। हालांकि जिस फिल्म के लिए शेर को शहर में लाकर शूटिंग की जा रही थी, उसे रिलीज होने से भी रोक दिया गया था।

#दसवां दावा
क्या वायरल :
 ताबूत वाली एक फोटो वायरल हो रही है। दावा है कि यह इटली की है, जहां एक ही दिन में कई लोग कोरोनावायरस के चलते मारे गए
क्या सच : वायरल तस्वीर सात साल पहले हुए एक हादसे की है, इसका कोरोनावायरस से कोई संबंध नहीं है।

इटली में कोरोनावायरस ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया है। 4800 से ज्यादा मौतें वहां हो चुकी हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हुई है। इसमें कई ताबूत रखे नजर आ रहे हैं। दावा है कि, इन ताबूतों में रखे जो शव हैं, वो उन लोगों के लिए हैं, जिन्होंने कोरोनावायरस के चलते अपनी जान गंवाई।

क्या वायरल

  • इस यूजर ने इस फोटो को शेयर करते हुए लिखा कि, कोरोनावायरस पर हंसी-ठिठोली बंद करें। देखें इटली में क्या हुआ। ये सभी एक दिन में मारे गए।

क्या है सच्चाई

  • पड़ताल में पता चला कि वायरल तस्वीर झूठी है। वायरल तस्वीर इटली की ही है, लेकिन सात साल पुरानी है और इसका कोरोनावायरस से कोई लेनादेना नहीं है।
  • गूगल पर रिवर्स सर्चिंग में हमें यह इमेज गेटी इमेजेस पर मिल गई। इसमें दिए कैप्शन के मुताबिक, यह सभी ताबूत अफ्रीकन प्रवासियों के थे जो इटली के लैम्पेदुसा द्वीप पर एक जहाज की तबाही में मारे गए थे।
  • यह फोटो 5 अक्टूबर 2013 को लैम्पेदुसा एयरपोर्ट पर क्लिक की गई थी। मीडिया में इस घटना को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। अफ्रीका के 350 से ज्यादा माइग्रेंट्स इटली आ रहे थे, तभी यह हादसा हुआ था।

 

 

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