ब्रह्मोस मिसाइल का सुखोई से सफल परीक्षण:बंगाल की खाड़ी में टारगेट पर साधा सटीक निशाना, 400 KM तक रेंज

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नई दिल्ली. इंडियन एयरफोर्स ने बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस एयर लॉन्च मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह 400 किलोमीटर तक के टारगेट को निशाना बना सकती है। वायु सेना ने अपने ऑफिशियल बयान में कहा- इस मिसाइल को सुखोई Su-30 फाइटर एयरक्राफ्ट से टेस्ट किया गया है।

रक्षा विभाग ने बताया कि टेस्ट के दौरान मिसाइल ने टारगेट की गई शिप को बीचोंबीच मारा। यह मिसाइल के एयर-लॉन्च वर्जन का एंटी-शिप वर्जन है।

ब्रह्मोस के साथ-साथ सुखोई की भी क्षमताओं का टेस्ट हुआ। यह फाइटर एयरक्राफ्ट एयरफोर्स के साथ नेवी की भी ताकत बना है।
ब्रह्मोस के साथ-साथ सुखोई की भी क्षमताओं का टेस्ट हुआ। यह फाइटर एयरक्राफ्ट एयरफोर्स के साथ नेवी की भी ताकत बना है।

अब जानिए टेस्ट से क्या हासिल हुआ
इंडियन नेवी अपने वॉरशिप से 400 किलोमीटर दूर तक के दुश्मन जहाजों को ध्वस्त कर सकेगी। वॉरशिप से सुखोई इस मिसाइल को लेकर उड़ेगा और दुश्मन के जहाज को आसानी से निशाना बना लेगा।

सेना की ताकत बढ़ी
इस मिसाइल के परीक्षण से एयरफोर्स ने जमीन और समुद्री टारगेटों को लंबी दूरी से निशाना बनाने की उपलब्धि हासिल कर ली है। अगर कभी युद्ध की स्थिति बनी तो इंडियन एयरफोर्स की रणनीतिक को सुखोई और यह मिसाइल मजबूती प्रदान करेगी। रक्षा मंत्रालय ने कहा- इस परीक्षण एयरफोर्स, नौसेना, DRDO, BAPL और HAL की संयुक्त उपलब्धि है।

इसी साल मई की शुरुआत में भारत ने ब्रह्मोस एयर लॉन्च मिसाइल का सफल परीक्षण Su-30 MKI फाइटर एयरक्राफ्ट से किया था। यह ब्रह्मोस मिसाइल का सुखोई से पहला टेस्ट था।

सुखोई से ब्रह्मोस ने बंगाल की खाड़ी में टारगेट को तबाह किया।
सुखोई से ब्रह्मोस ने बंगाल की खाड़ी में टारगेट को तबाह किया।

टेस्ट दर टेस्ट बड़ी ब्रह्मोस की ताकत
ब्रह्मोस की शुरुआती रेंज 290 किलोमीटर दूर के टारगेट को मारने की थी। जो पहले बढ़कर 350 किमी हुई और अब गुरुवार को हुई टेस्ट के बाद 400 किलोमीटर दूर तक का निशाना लगाने में यह सफल हुआ।

कैसे नाम पड़ा ब्रह्मोस?
ब्रह्मोस को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस के फेडरल स्टेट यूनिटरी इंटरप्राइज NPOM के बीच साझा समझौते के तहत विकसित किया गया है। ब्रह्मोस एक मध्यम श्रेणी की स्टील्थ रैमजेट सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इस मिसाइल को जहाज, पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट या फिर धरती से लॉन्च किया जा सकता है।

रक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, ब्रह्मोस का नाम भगवान ब्रह्मा के ताकतवर शस्त्र ब्रह्मास्त्र के नाम पर दिया गया। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि इस मिसाइल का नाम दो नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि ये एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के रूप में दुनिया में सबसे तेज है।

ब्रह्मोस पर एक नजर

  • ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे पनडुब्बी, शिप, एयरक्राफ्ट या जमीन कहीं से भी छोड़ा जा सकता है।
  • ब्रह्मोस रूस की P-800 ओकिंस क्रूज मिसाइल टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इस मिसाइल को भारतीय सेना के तीनों अंगों, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को सौंपा जा चुका है।
  • ब्रह्मोस मिसाइल के कई वर्जन मौजूद हैं। ब्रह्मोस के लैंड-लॉन्च, शिप-लॉन्च, सबमरीन-लॉन्च एयर-लॉन्च वर्जन की टेस्टिंग हो चुकी है।
  • जमीन या समुद्र से दागे जाने पर ब्रह्मोस 290 किलोमीटर की रेंज में मैक 2 स्पीड से (2500किमी/घंटे) की स्पीड से अपने टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकती है।
  • पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल को पानी के अंदर से 40-50 मीटर की गहराई से छोड़ा जा सकता है। पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल दागने की टेस्टिंग 2013 में हुई थी।

क्रूज और बैलेस्टिक मिसाइल में क्या अंतर है?
मिसाइल एक गाइडेड हवाई रेंज वाला हथियार है जो आमतौर पर जेट इंजन या रॉकेट मोटर से खुद उड़ान भरने में सक्षम होता है। मिसाइलों को गाइडेड मिसाइल या गाइडेड रॉकेट भी कहा जाता है। सीध शब्दों में कहें तो मिसाइल का मतलब है किसी विस्फोटक को किसी टारगेट की ओर फेंकना ,दागना या भेजना। मिसाइल मोटे तौर दो प्रकार की होती हैं। क्रूज मिसाइल और बैलेस्टिक मिसाइल।

क्रूज मिसाइल

  • क्रूज मिसाइल एक तरह की मानवरहित सेल्फ गाइडेड मिसाइल है। यह मिसाइल तेज रफ्तार विमानों की तरह जमीन काफी करीब उड़ान भरती हैं। इसके लिए उनके नेविगेशन सिस्टम में रास्ते की निशानदेही फीड की जाती है। इसलिए ही इन्हें क्रूज मिसाइल का नाम दिया गया है।
  • यह जेट इंजन टेक्नोलॉजी की मदद से पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर उड़ान भरती हैं। इनकी स्पीड बहुत तेज होती है।
  • क्रूज मिसाइलों को क्षमता के हिसाब से सबसॉनिक, सुपरसॉनिक और हाइपर सॉनिक क्रूज मिसाइलों में बांट सकते हैं। उदाहरण के लिए भारत की ब्रह्मोस सुपरसॉनिक मिसाइल है और ब्रह्मोस 2 हाइपरसॉनिक मिसाइल है।
  • क्रूज मिसाइल जमीन से काफी कम, महज 10 मीटर की, ऊंचाई पर ही उड़ान भरती है। क्रूज मिसाइल पृथ्वी की सतह के समानांतर चलती हैं और उनका निशाना एकदम सटीक होता है।
  • कम ऊंचाई पर उड़ने की वजह से ही यह रडार की पकड़ में नहीं आती हैं। इन्हें जमीन, हवा, पनडुब्बी और युद्धपोत कहीं से भी दागा जा सकता है।
  • क्रूज मिसाइल आकार में बैलेस्टिक मिसाइल से छोटी होती हैं और उन पर हल्के वजन वाले बम ले जाए जाते हैं। क्रूज मिसाइलों का यूज पारंपरिक और परमाणु बम दोनों के लिए होता है।

बैलिस्टिक मिसाइल

  • ये मिसाइल छोड़े जाने के बाद तेजी से ऊपर जाती है और फिर गुरुत्वाकर्षण की वजह से तेजी से नीचे आते हुए अपने टारगेट को हिट करती है।
  • बैलेस्टिक मिसाइल को बड़े समुद्री जहाज या फिर रिर्सोसेज युक्त खास जगह से छोड़ा जाता है। भारत के पास पृथ्वी, अग्नि और धनुष नामक बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।
  • बैलिस्टिक मिसाइलें साइज में क्रूज मिसाइलों से बड़ी होती हैं। ये मिसाइलें क्रूज की तुलना में ज्यादा भारी वजन वाले बम ले जा सकती हैं।
  • बैलिस्टिक मिसाइल छोड़े जाने के बाद हवा में एक अर्धचंद्राकर रास्ते पर चलती। जैसे ही रॉकेट से उनका संपर्क टूटता है, उनमें लगा बम गुरुत्वाकर्षण की वजह से जमीन पर गिरता है।
  • इन मिसाइलों को छोड़े जाने के बाद उनका रास्ता नहीं बदला जा सकता है।
  • बैलिस्टिक मिसाइलों का यूज आमतौर पर परमाणु बमों को ले जाने के लिए होता है, हालांकि इसने पारंपरिक हथियार भी ले जाए जा सकते हैं।

पाकिस्तान में गिरी थी भारतीय मिसाइल
भारत की एक मिसाइल 9 मार्च को पाकिस्तान में 124 किलोमीटर अंदर उसके शहर चन्नू मियां के पास जा गिरी। भारत का कहना है कि तकनीकी गड़बड़ी की वजह से ऐसा हुआ। उधर, पाकिस्तान का दावा है कि बिना हथियारों वाली यह एक सुपरसॉनिक यानी आवाज की रफ्तार से तेज उड़ने वाली मिसाइल थी।

पाकिस्तानी मिलिट्री के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिकार ने अपने बयान में कहा, एक तेज स्पीड से उड़ता हुआ ऑब्जेक्ट उसके शहर मियां चन्नू के करीब क्रैश हुआ था। ये ऑब्जेक्ट 40 हजार फीट की ऊंचाई पर और मैक 3 स्पीड से पाकिस्तानी एयरस्पेस में 124 किलीमीटर अंदर उड़ने के बाद क्रैश हो गया।

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