रामपुरा फूल में किसके इशारे पर चल रहा है दड्डा सट्टा व लाटरी का गौरखधंधा? सरेआम चल रहा धंधा

इनमें से कुछ आदतन किस्म के लोग बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, ऑटो स्टैंड के पास खुलेआम पर्ची काटकर एवं मोबाइल के माध्यम से भी इस अवैध कारोबार को संचालित कर लोगों की गाढ़ी कमाई पर डाका डाल रहे हैं जिसकी जानकारी शायद पुलिस को छोड़कर सभी को है। सट्टे के हिसाब-किताब की जगह बार-बार बदल कर प्रमुख खाईवाल अपनी होशियारी का भी परिचय देने की कोशिश करते हैं।

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प्रशोत्तम मन्नू, रामपुरा फूल।
कभी चोरी-छिपे चलने वाला दड्डा सट्‌टा बाजार आजकल कानून की ढीली पकड़ की वजह से खाईवाल के संरक्षण में रामपुरा फूल में खुलेआम चल रहा है। ओपन, क्लोज और रनिंग के नाम से चर्चित इस खेल में जिस प्रकार सब कुछ ओपन हो रहा है उससे यही प्रतीत होता है कि प्रमुख खाईवाल को कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है।
रामपुरा फूल में मौड़ रोड, बस स्टेंड, गांधी नगर, कृष्णा टाकी के पास टैंकी के नीचे, राम बाग रोड व शहर के बीचों बीच हर गली मुहल्ले में जुआ व सट्टे का काम सरेआम किया जाता है। इसमें स्थिति यह है कि इस धंधे में इलाके के नौजवान व मजदूरी कर पेट पालने वाले लोगों के साथ व्यापारी वर्ग के लोग भी रातों रात पैसा दस गुणा करने के चक्कर में लूटे जा रहे हैं। वही दड्डा सट्टा लगाने वाले रातों रात नामी व बेनामी संपत्ति के मालिक बन रहे हैं। इसमें खेल के बढ़ते कारोबार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि महिलाएं एवं बच्चे भी दिन-रात अंकों के जाल में उलझे रहते हैं। प्रमुख खाईवाल के एजेंट जो पर्ची काटते हैं प्राय: हर गली-मोहल्ले में आसानी से घूमते पर्ची काटते नजर आते हैं। इनमें से कुछ आदतन किस्म के लोग बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, ऑटो स्टैंड के पास खुलेआम पर्ची काटकर एवं मोबाइल के माध्यम से भी इस अवैध कारोबार को संचालित कर लोगों की गाढ़ी कमाई पर डाका डाल रहे हैं जिसकी जानकारी शायद पुलिस को छोड़कर सभी को है। सट्टे के हिसाब-किताब की जगह बार-बार बदल कर प्रमुख खाईवाल अपनी होशियारी का भी परिचय देने की कोशिश करते हैं।
सूत्रों की मानें तो वर्तमान समय में इस अवैध कारोबार का हिसाब-किताब प्रत्येक शनिवार को किया जा रहा है। कुछ लोग ‘अचूक, और अन्य नामों से साप्ताहिक व मासिक सट्टा चार्ट की भी बिक्री कर रहे हैं जिसकी मांग सट्टï प्रेमियों में ज्यादा है।गरीब बेरोजगार युवाओं को मोटे कमीशन का लालच देकर इस अवैध कारोबार में उतारा जा रहा है। आगे चलकर यही युवा अपराध की ओर अग्रसर हो जाते हैं। शिकायत होने पर जब पुलिस अभियान चलाती है तो खाईवाल को बक्श कर अक्सर इन्हीं युवाओं के खिलाफ कार्रवाई कर खानापूर्ति कर लेती है।
इलाके के लोगों ने मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए है जबकि कुछ राजनेता भी इन गौरखधंधा करने वालों को संरक्षण प्रदान कर रहे हैं। लोगों ने बताया कि सट्टा के अवैध कारोबार ने कई घरों को तबाह कर दिया है। सब कुछ जानते हुए भी पुलिस जिस प्रकार आंख बंद किए बैठी है उससे पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
जिस प्रकार सट्टा का अवैध कारोबार खुलेआम संचालित हो रहा है उससे यह साफ दिखता है कि उन्हें किनका संरक्षण प्राप्त है। इलाके की समाज सेवी संस्थानों ने कहा कि इसके समूल नाश के लिए शीघ्र अभियान नहीं चलाया गया तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा। अब सवाल है कि क्षेत्र में सट्टा के अवैध कारोबार से पुलिस की छवि धूमिल हो रही है। सट्टा पट्टी काटने वाले तक कानून के हाथ पहुंचते हैं, लेकिन खाईवाल के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जाती?

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